Monday, March 5, 2012

दुआ

मुसाविर हो तुम
तुम्हारी तसवीरें महकती हैं
रंग कितने हैं तुम्हारे, महक भी कईं हैं
पुराने अलफ़ाज़ हैं, पर बात नयी है..
अल्लाह करे
कलम में दरीया-ए- स्याही, दिल में क़रार रहे
क़यामत तक इस गुलज़ार में बहार रहे

Friday, March 2, 2012

पापा

पापा
पहली बार साइकिल सिखाते हुए बिन बताये, धीरे से छोड़ दी थी साइकिल
पर भाग रहे थे मेरे पीछे
और मुझे लगा आपने पकड़ रखा है मेरी साइकिल को, में गिरूंगा नहीं
और में बिना डरे आगे बढता गया
अभी भी आप हो मेरे पीछे
मुझे पता है, आप हमेशा रहोगे मेरे साथ
गिरने नहीं दोगे मुझे.....