तुम कलमधार करते प्रहार
शब्दों से अपने अपरम्पार
इश्वर करे तुम्हारी जय हो
चलते रहो तुम्हे न कोई भय हो
जय हो तुम्हारी जय हो
तुम में दीवाकर सी प्रबल ज्वाला
तुम तुच्छ मानव की पाठशाला
निश्छल जल प्रपात की तीव्र धार
तुम अग्नि दूत , तुम प्रबल ज्वार
लिख दो भविष्य कर दो निहाल
जग करे नृत्य और तुम दो ताल
- प्रांजल
Wednesday, October 20, 2010
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