जुर्रत
आज नशे में एक ख्वाब की जुर्रत कर ली
तेरे साथ अपने साथ की जुर्रत कर ली
तेरे मुन्तज़िर तो हम हमेशा से हैं
तेरी और नज़र उठाने की जुर्रत कर ली
महफिलों में अक्सर देखा है तुझे
हमने भी महफिलों में जाने की आदत कर ली
दरीचे में दो पल के तेरे मंज़र के लिए
ज़िन्दगी तेरे सामने वाले घर में बसर कर ली