उबलो
हाथ फैलाना बंद करो, हाथ उठाओ
तमाशा देख कर ताली मत बजाओ
सच की रोशनी से आखों को चून्धियाने दो
अँधेरे में अंधे मत मरो
उबलो
चीखों को संगीत की तरह मत सुनो
सपनों को झूठ के धागों से मत बुनो
हाथ की लकीरों के इशारों पर मत चलो
उड़ना चाहते हो तो गिरने से मत डरो
उबलो
हंस कर अपनी हंसी मत उड़वाओ
खूटे की रस्सी की लम्बाई मत बड़ाओ
आज़ादी के मुखोटे को उतारो
अपनी गुलामी का जश्न मत बनाओ
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