Thursday, July 26, 2012

तफ़री

चल आजा ज़रा बीते सालों में कर के आते हैं तफरी
चल लेकर आते हैं कश पहली सिग्रेट का, जो आधी-आधी पी थी हमने, 
आ झाँक कर आते हैं कॉलेज की पहली क्लास में, 
ज़रा फिर क्लास से भाग कर चलते हैं पीछे वाली टपरी पर,
शायद कोई पुरानी हंसी फिर गिर पड़े सर पर, 
शायद गिरा पड़ा हो कोई ठहाका ज़मीन पर
शायद पेड़ के पीछे से निकल कर डरा दे हम ही हमें
चल ज़रा टूटे दिल को हौसला दे आयें, 
जो गुमसुम हो उसे बहला आयें, 
चल कुछ लम्हों के लिए आज को कह दें अलविदा
 चल 
आजा ज़रा बीते सालों में कर के आते हैं तफरी ........

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