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Monday, April 18, 2011

बाकी है अभी.....

बाकी है अभी.....

पैरों के नाखून में थोड़ी सी रेत

नींद से बंजर आँखों में थोड़ी सी शराब

कुछ बनते हुए ख्वाब, कल की तस्वीर

बाकी है अभी .....

जीभ पर पानी का नमक

आँखों में कुछ लम्हों का मंज़र

जो खुरेद कर छोड़ आये हैं

किनारे के किसी पत्थर पर

बाकी है अभी.......

चाँद से छुपकर,

गीली हवा के साज़ पर,

सोयी हुई तर्ज़ में लहरों ने गुनगुनाई थी

कान में धुंदली सी एक ग़ज़ल

बाकी है अभी........

जेब में गीली रेत,

एक गीले ख़त पर फैली हुई स्याही

में कुछ अशहार

कच्चे धागे में पिरोई सीपियों की एक माला

हाथों से लम्हों सी फिसलती सूखी रेत का एहसास

बाकी है अभी.........